क्त्वा प्रत्यय | katwa pratyay In Sanskrit

katwa pratyay :- हैलो दोस्तो आज हम संस्कृत के ‘क्त्वा प्रत्यय’ के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। क्त्वा प्रत्यय की परिभाषा,इसके उदाहरण आदि इस ब्लॉग पोस्ट में नीचे दिए गए हैं। क्त्वा प्रत्यय को पढ़कर नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय लिखकर अवश्य भेजनी है।

katwa pratyay
katwa pratyay

प्रत्ययस्य परिभाषा – धातो: प्रातिपदिकस्य वा पश्चात् यस्य प्रयोग क्रियते प्रत्यय इति कथ्यते। (धातु अथवा प्रातिपदिक (शब्द) के बाद जिसका प्रयोग किया जाता है वह प्रत्यय कहा जाता है, क्त्वा-जहाँ दो या दो अधिक क्रियाओं का एक ही कर्त्ता होता है वहाँ ‘कर या करके’ अर्थ में धातु से क्त्वा प्रत्यय होता है। क्त्वा का त्वा शेष रहता है। ‘क्त्वा’ प्रत्यय में से प्रथम वर्ण ‘क्’ की इत्संज्ञा करने पर लोप हो जाता है तथा ‘त्वा’ शेष रहता है।  इसका प्रयोग ‘करके या कर कर’ के रूप में किया जाता है।

katwa pratyay ke udaharan

धातु: + प्रत्ययरुपाणिहिंदी अर्थ
पठ्+क्त्वापठित्वापढ़ करके
इष्+क्त्वाइष्ट्वाइच्छा करके
क्रुध्+क्त्वाक्रुद्धवाक्रोध करके
अस्+क्त्वाभूत्वाहोकर
चल्+क्त्वाचलित्वाचलकर के
जि+क्त्वाजित्वाजीतकर के
गै+क्त्वागीत्वागाकर के
धाव्+क्त्वाधावित्वादौड़कर के
पत्+क्त्वापतित्वागिरकर के
ग्रह्+क्त्वाग्रहीत्वालेकर के
रक्ष्+क्त्वारक्षित्वारक्षा करके
रच्+क्त्वारचयित्वारचना करके
वद्+क्त्वावदित्वाबोलकर के
हस्+क्त्वाहसित्वाहसकर के
कुप्+क्त्वाकुपित्वाक्रोधकर के
अकूज्+क्त्वाकूजित्वाकूजकर के
खाद्+क्त्वाखादित्वाखाकर के
खन्+क्त्वाखनित्वाखोदकर के
चर्+क्त्वाचरित्वाचलकर के
तृ+क्त्वातीर्त्वातैरकर के
नम्+क्त्वानत्वाझुककर के
नश्+क्त्वानष्ट्वानष्ट करके
पाल्+क्त्वापालयित्वापालकर के
पीड्+क्त्वापीडयित्वादुख देकर के
भ्रम्+क्त्वाभ्रमित्वाघूमकर के
वस्+क्त्वाउषित्वारहकर के
विश्+क्त्वाविष्ट्वाघुसकर के
वृष्+क्त्वावर्षित्वाबरस कर
खेल्+क्त्वाखेलित्वाखेलकर के
वह्+क्त्वाऊढ्वाढोकर के
नम्+क्त्वानत्वानमस्कार करके
श्रु+क्त्वाश्रुत्वासुनकर के
सिंच्+क्त्वासिंचित्वासीचकर के
स्था+क्त्वातिष्ठ्वाबैठकर के
हृ+क्त्वाहत्वामारकर के
हन्+क्त्वाहनित्वाहरण करके
गम्+क्त्वागत्वाजाकर के
सृज्+क्त्वासृष्ट्वारचना करके
कृ+क्त्वाकृत्वाकरके
स्मृ+क्त्वासमृत्वायादकर के
स्पृश्+क्त्वास्पृष्ट्वाछूकर के
अर्ज्+क्त्वाअर्जित्वाकमाकर के
क्षाल्+क्त्वाक्षालयित्वाधोकर के
कृष्+क्त्वाकृष्ट्वाजोतकर के
जीव्+क्त्वाजीवित्वाजीकर के
तुल्+क्त्वातोलयित्वातोलकर के
तृ+क्त्वातीर्त्वातैरकर के
त्यज्+क्त्वात्यक्त्वात्यागकर के
धृ+क्त्वाधृत्वारखकर के
पूर्+क्त्वापूरयित्वाभरकर के

इन्हें भी पढ़ें:- अनीयर् प्रत्यय

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