शतृ प्रत्यय in Sanskrit | shatri pratyay ke Udhaharan

shatri pratyay की परिभाषा | शतृ प्रत्यय संस्कृत में | शतृ प्रत्यय के 20 उदाहरण

shatri pratyay का प्रयोग वर्तमान काल का अर्थ प्रकट करने के लिए किया जाता है तथा परस्मैपदी धातुओं में शतृ प्रत्यय प्रयुक्त होता है। शतृ प्रत्यय में से शकार ‘श्’ व ऋकार ‘ऋ’ की इत्संज्ञा अर्थात लोप हो जाता है और ‘अत्’ शेष रहता है। इसके रुप तीनों लिंगों में चलते हैं।

shatri pratyay ke Udhaharan
shatri pratyay ke Udhaharan

शतृ प्रत्यय का प्रयोग विशेषण की तरह किया जाता है। इसके रुप पुल्लिंग से हसन्, स्त्रीलिंग में हसन्ति,और नपुंसकलिंग में हसत् की भांति चलते हैं।

पहचान शतृ प्रत्यय

शतृ प्रत्ययपुल्लिंगस्त्रीलिंगनपुंसकलिंग
पठ् + शतृपठन्पठन्तीपठत्
प्रकृति:पुल्लिंगस्त्रीलिंगनपुंसकलिंग
पठ्+शतृपठन्पठन्तीपठत्
अस्+शतृसन्सतीसत्
लिख्+शतृलिखन्लिखन्तीलिखत्
पच्+शतृपचन्पचन्तीपचत्
दृश्+शतृपश्यन्पश्यन्तीपश्यत्
गम्+शतृगच्छन्गच्छन्तीगच्छत्
भू+शतृभवन्भवन्तीभवत्
मिल्+शतृमिलन्मिलन्तीमिलत्
नी+शतृनयन्नयन्तीनयत्
गण्+शतृगणयन्गणयन्तीगणयत्
चिन्त्+शतृचिन्तयन्चिन्तयन्तीचिन्तयत्
घ्रा+शतृजिघ्रम्जिघ्रन्तीजिघ्रत्
दा+शतृयच्छन्यच्छन्तीयच्छत्
नृत्+शतृनृत्यन्नृत्यन्तीनृत्यत्
पा+शतृपिबन्पिबन्तीपिबत्
लिख्+शतृपृच्छन्पृच्छन्तीपृच्छत्

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