अब क्यूआर कोड बतायेगा दवा ‘फेक’ है या ‘फाइन’ जाने पुरी जानकारी
अब क्यूआर कोड बतायेगा दवा ‘फेक’ है या ‘फाइन’ :- सरकार ने नकली दवाइयां की बिक्री पर लगाम लगाने के लिए उठाया यह कदम । आज नकली दवाएं डॉक्टर्स से लेकर मरीजों तक के लिए सिरदर्द बनती जा रही है, नकली दवा की सप्लाई करने वाले एंटीबायटिक्स से सीरप और बुखार तक की नकली दवा की सप्लाई बाजार में कर रहे। इसे देखते हुए सरकार द्वारा कई कठोर कदम उठाये जा रहे है. जिसके तहत दवा के रैपर पर क्यूआर कोड को अनिवार्य किया गया है. इस कोड में दवा कब बनी है, कंपनी का नाम, एक्सप्रायरी दिनांक और अन्य पहचान होगी। जिसे नकली दवाओं की जानकारी हो सके।
बारीकी से चेक करें खरीदी जाने वाली हर दवा का रैपर
डॉ.नधीन गर्ग के अनुसार दवा के रैपर पर दवा के नाम की मैलिंग कंपनी का नाम और नंबर जरूर देखना लेना चाहिए। नकली दवा पर लिखें अक्षरों में थोड़ा अंतर होता है। जैसे दवा पर लिखें कोई शब्द छोटा या बड़ा कर दिया जाता है, दवा की बोतल या टेबलेट की साइज और डिजाइन में भी अंतर होता है। इसे देखकर वहीं इन्हें वहीं पकड़ सकता है जो इसका जानकार होता है। नकली दवाओं के रैपर की क्यालिरी में भी अंतर होता है।
ऐसे करें बचाव
नकली दवा को खरीदने से बचने के लिए लोगों को सर्तकता रखनी होगी। दवाओं को खरीदते समय दवा को अच्छे चैक कर लें। दवा की कंपनी, दिनांक, रजिस्ट्रेशन नंबर आदि देखकर ही खरीदें।
क्यूआर कोड में किस तरह की होती है डिटेल
- दवा किस डेट में बनाई गई है
- दवा का रेट क्या है
- सप्लाई चेन की जानकारी भी होती है
दवा खरीदते समय इसे भी देखें
- रैपर की प्रिंटिंग क्वालिटी
- स्याही फैली तो नहीं है
- रैपर पर कुछ चिपका न हो