1972 में अपोलो कार्यक्रम के बाद से मनुष्य ने चंद्रमा पर कदम नहीं रखा है।
हालांकि नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां दीर्घकालिक मिशनों के साथ वापसी के लिए कमर कस रही हैं
ये बड़ा सवाल है, क्योंकि धरती और चांद पर रहने में जमीन और आसमान का फर्क है इंसान चांद पर जाने की तैयारी में जुटा हुआ है
लेकिन वहां पहुंचने के बाद वो फिट कैसे रखेगा, ये बड़ा सवाल है, क्योंकि धरती और चांद पर रहने में जमीन और आसमान का फर्क है
हालांकि अब रिसर्चर्स ने इंसानों के इस काम को आसान कर दिया है, उन्होंने बताया है कि इंसान चांद पर खुद को कैसे फिट रख सकता है
उन्होंने कहा, चट्टान की गेंद के चारों ओर वो घूमते हुए खुद को वहां पर फिट रख सकता है
कम गुरुत्वाकर्षण वाले वातावरण में खुद को कमजोर होने से बचाने के लिए, वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष यात्रियों को दौड़ने का सुझाव दिया है.
उन्होंने अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की ‘मौत का कुआं’ के आसपास दिन में कई बार दौड़ने की सलाह दी है.
नासा के आर्टेमिस अंतरिक्ष यात्री अगले साल 2026 की शुरुआत में सतह पर एक मिशन के साथ चंद्रमा के चारों ओर उड़ान भरने वाले हैं.
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